एक पंक्षी रति पीड़ा में .....
...और प्याला छलक उठा...एक मरघट सी शांति...उदासी...पीड़ा...रति क्रीड़ा....
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साभार-गुगल |
" मेरे ओंठ भींगे हैं, दागदार हैं
और मैं
अपने बिस्तरे की गहराई में, अंधेरे में
अपना परम्परागत पुरातन संस्कार
गर्क कर लेने की अदा सीख चुका हूं...!!
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