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सोमवार, जून 14, 2010

ज़िन्दगी एक मर्सिया ....

ज़िन्दगी जब ' कविता ' बन जाए .....मर्सिया बन जाती है .......मैं, मेरा मर्सिया खुद लिख जहा हूँ.......

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