एक अंतहीन मुक्तिगाथा...
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गुरुवार, अप्रैल 08, 2010
साजिश
अधजली लाश नोचकर
खाते रहना श्रेयस्कर है
जीवित पडोसिओं को खा जाने से
हम लोगों को अब शामिल नहीं रहना है
इस धरती से आदमी को हमेशा के लिए ख़त्म कर देने की
साजिश में ......................
......राजकमल चौधरी
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