तुम्हारा एहसास
तुम्हारी खामोशी
तुम्हारे जज़्बात
तुम्हारा जिस्म
...... पसीने की बू
फिर, नापसंद क्या है ?
"रौशनी" !
प्लीज़, बत्ती बुझा दो
दिल की आग धुआं होने को बाकी है.....
..... आर. आर. दरवेश
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